लखनऊ में प्रेरणा संस्‍था की ओर से 2100 कन्‍याओं का हुआ भव्‍य पूजन एवं वंदन

गोमतीनगर विस्‍तार स्‍थ‍ित सीएमएस ऑडिटोरियम में मुख्‍य अतिथि राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस अवसर पर कहा कि जिस प्रकार हम भारत माता की पूजा करते हैं, ठीक उसी प्रकार हमें कन्‍याओं की भी पूजा करते हैं।

रजत के.मिश्र, Twitter - rajatkmishra1
  • Apr 15 2024 10:02PM

इनपुट-रोहित बाजपेई, लखनऊ

 
राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मार्गदर्शन से संचालित संस्‍था 'प्रेरणा' की ओर से सोमवार को चैत्र-नवरात्रि के दिन 2100 कन्‍याओं का भव्‍य पूजन एवं वंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गोमतीनगर विस्‍तार स्‍थ‍ित सीएमएस ऑडिटोरियम में मुख्‍य अतिथि राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस अवसर पर कहा कि जिस प्रकार हम भारत माता की पूजा करते हैं, ठीक उसी प्रकार हमें कन्‍याओं की भी पूजा करते हैं। 
 
इसका पर्याय यह है कि यही बच्‍च‍ियॉं बड़ी होकर एक आदर्श समाज का निर्माण करती हैं। आदिवासी, वनवासी, ग्रामीण या शहरों में रहने वाली हर कन्‍या देवी है। इनकी शिक्षा और सुरक्षा हमारा प्रमुख दायित्‍व है। इस अवसर पर लखनऊ की पूर्व मेयर संयुक्‍ता भाटिया, विशिष्ठ अतिथि के रूप में आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक अनिल जी व प्रांत प्रचारक कौशल जी, क्षेत्र‍ीय प्रचार प्रमुख सुभाष जी, सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख पूर्वी उत्‍तर प्रदेश एवं राष्‍ट्रधर्म पत्र‍िका के निदेशक मनोजकांत जी, विश्‍व संवाद केंद्र के प्रमुख डॉ उमेश, क्षेत्र प्रचारिका शशि, सह प्रांत संघचालक सुनीत खरे, राज्य सूचना आयुक्त डॉ दिलीप अग्निहोत्री, स्वतंत्र प्रकाश, पीएन द्विवेदी और पूर्व राज्य सूचना आयुक्त सुभाष सिंह, एकल विद्यालय अभियान के माधवेंद्र जी, प्रशांत भाटिया एवं डॉ सुनीता गांधी सहित समाज के विभि‍न्‍न वर्गों के सम्‍मानित लोग उपस्‍थ‍ित रहे। 
 
सभी ने कन्‍याओं के चरण धोये एवं तिलक लगाया सेवा बस्‍त‍ियों में रहने वालीं 2100 कन्‍याओं का 'प्रेरणा परिवार' द्वारा सोमवार को चैत्र-नवरात्रि के पावन अवसर पर पूजन-वंदन किया गया कई संभ्रांत परिवारों की 200 से अधिक महिलाओं ने कार्यक्रम की शुरुआत में कन्‍याओं के चरण धोये एवं तिलक लगाया। इसके बाद राष्‍ट्रगान के साथ ही सांस्‍कृतिक कार्यक्रम आरम्‍भ किया। कार्यक्रम की मुख्‍य अतिथि राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल ने कन्‍याओं के चरण धोये। उन्‍होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हर परिवार की जिम्‍मेदारी है कि वह वह अपनी कन्‍याओं को उचित शिक्षा दे। यही कन्‍याऍं देवी का स्‍वरूप हैं। वह बड़ी होकर समाज का उन्‍नत विकास करने में अहम योगदान देती हैं। बेटी चाहे आदिवासी समाज की हो या पिछड़े बस्‍ति‍यों में रहने वाली उन्‍हें उचित शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था मिलनी चाहिये। कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया l
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