UP: मुजफ्फरनगर में हेल्थ डिपार्टमेंट की नाक के नीचे धड़ल्ले से चल रहे है फर्जी अस्पताल और मेडिकल स्टोर्स..

यूपी के मुजफ्फरनगर में धड़ल्ले से अवैध नर्सिंग होम और मेडिकल स्टोर्स का संचालन हो रहा है इन प्रतिष्ठानों के संचालक सीधे-सीधे आम जनमानस की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं दवाइयों के आड़ में नशीले पदार्थों की बिक्री भी की जा रही है।

रजत के.मिश्र , Twitter - rajatkmishra1
  • Sep 28 2022 11:37PM

इनपुट - समर ठाकुर , मुजफ्फरनगर

यदि आप मुज़फ्फरनगर में रहते है तो आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है, मुज़फ्फरनगर में इस समय सैकड़ो फर्जी अस्पताल व मेडिकल स्टोर धडल्ले से चल रहे है। आपको बता दे कोरोना महामारी के दौरान अधिकांश लोगों का व्यापार प्रभावित होने के बाद अभी तक भी पटरी पर नहीं आ पाया है इस समस्या से जूझ रहे कुछ लोगो ने अपना व्यापार बदलने का  लफैसला कर लिया। इस बदलाव की दौड़ में एक चौकाने वाला आकड़ा सामने आया है एक्सपर्ट की माने तो अधिकांश लोगों ने इमरजेंसी सेवाओ में जाने का निर्णय लिया है। ऐसा माना जा रहा है कि यह इसलिए हुआ क्योंकि जब कोरोना काल में सभी के दुकानों के शटर बंद हो गए थे एक यही व्यापार ऐसा था जो 24 घंटे रात दिन खुला रहा और तेजी से आगे बढ़ रहा था। हालाकि अधिकांश लोगों ने इस महामारी के दौरान सेवाभाव से काम किया है लेकिन कुछ लोगो ने इस आपदा में अवसर तलाशने का प्रयास किया था। कोरोना काल खत्म होने के साथ साथ जब व्यापार शून्य हो गए तो बड़ी संख्या में लोगो ने अपने व्यापार को बदल लिया  जिसमे अधिकांश लोगों ने मैडिकल लाइन को चुना।

लोगो ने कोरोना काल के दौरान मास्क व सैनिटाइजर से शुरुवात कर धीरे धीरे मैडिकल स्टोर व अस्पतालो में परिवर्तित कर दिया जो बिना किसी की अनुमति व अनुभव के आज भी संचालित हो रहे है जो अब एक बड़ा खतरा बनकर उभर रहे है।

कोविड से पहले कबाड़ बेचने वाले अब बेच रहे है दवाइयां - 

इस व्यापार की रात दिन होती तरक्की देख कुछ ऐसे लोग इस लाइन में तेजी से घुस रहे है जिनका इस लाइन में न कोई पुराना अनुभव रहा है और न ही इनके पास कोई डिग्री है। जो लोग कभी कबाड़ी का काम करते थे ट्रैक्टर के मिस्त्री थे, ड्राइवर थे या अन्य ऐसे किसी काम में लगे थे जिसमे मैडिकल लाइन का कोई अनुभव नहीं था ऐसे लोगो ने मैडिकल स्टोर, नर्सिंग होम, क्लीनिक व एम्बुलेंस जैसी इमरजेंसी सेवाओ को संचालित करने का काम शुरू कर दिया।जिसमे से अधिकांश लोगो ने संबंधित विभाग से परमिशन या NOC लेना भी जरूरी नहीं समझा। जनपद मुजफ्फरनगर की अगर बात की जाए तो जनपद में 400 से अधिक फर्जी मैडिकल स्टोर, सैकड़ों की तादाद में फर्जी अस्पताल व अन्य इमरजेंसी सेवाए खुलेआम संचालित हो रही है। इस केंद्रों पर ड्रग्स माफियाओं ने अपना कब्जा कर लिया है इन मैडिकल स्टोर पर नशीली व नकली दवाइयां इंजेक्शन व अन्य अवैध नशे का सामान खुलेआम बेचा जा रहा है जिससे सरकारी राजस्व का तो नुकसान हो ही रहा है साथ ही युवा पीढ़ी ड्रग्स जैसे नशे में डूबती जा रही है जो भविष्य के लिए बड़ा खतरा बनने की और अग्रसर है। 

चिकित्सा विभाग के पास ऐसे स्टोर्स को कोई रिकॉर्ड नही - 

इन मैडिकल स्टोर या नर्सिंग होम का संबंधित विभाग के पास रिकार्ड तक नहीं है लेकिन यहां स्वास्थ संबंधित इमरजेंसी सेवाए बोर्ड लगाकर दी जा रही है  हालाकि उच्च अधिकारियों के कुछ  चपरासी, ड्राइवर व अन्य कर्मचारियों के पास इन फर्जी अस्पतालो व मैडिकल स्टोर का पूरा लेखा जोखा व जानकारी रहती है। जिसका सालाना या मंथली हिसाब किताब होता रहता है।

सुदर्शन न्यूज़ ने किया एक्सपोज तो खुली स्वास्थ्य विभाग की आंखे - 

सुदर्शन न्यूज़ की टीम के द्वारा जनपद मुजफ्फरनगर में पनप रहे इस सिंडीकेट का जब खुलासा किया गया तो कई चौकाने वाली चीजे सामने आई। कई जगह ऐसे अस्पताल संचालित होते मिले जिनपर यकीन करना मुश्किल था जहा बोर्ड तक नहीं लगाए गए थे एक्सपर्ट डॉक्टर तक नहीं थे लेकिन ऑपरेशन से डिलीवरी कराई जा रही थी, फार्मेसिस्ट नही थे लेकिन मेडिकल स्टोर चलाए जा रहे थे। ऐसा माहौल बनाया गया था सब कुछ असली अस्पताल जैसा लग रहा था कई जगह तो मकानों में ही अस्पताल चल रहे थे जब इनकी बारीकी से जांच की गई तो पाया की अस्पताल संचालक पहले ट्रैक्टर मिस्त्री था या किसी डाक्टर के यह प्रैक्टिस करता था जो पहले एम्बुलेंस चलाने का काम करता था अब कई अस्पताल चला रहा है जो अपना नाम तक नहीं लिख पाते वो मैडिकल स्टोर चला रहे है। हालाकि सुदर्शन न्यूज़ की खबर का स्वास्थ विभाग ने गंभीरता से संज्ञान लिया है और कुछ फर्जी अस्पतालो पर सीलिंग की कार्यवाही मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में की गई है जिससे लोगो ने कुछ राहत की सांस ली है लेकिन यह कार्यवाही पर्याप्त नही है। इस सिंडीकेट को जड़ से खत्म करने की मांग अब आमजन की तरफ से उठने लगी है, कई सामाजिक संगठनों ने भी सुदर्शन न्यूज़ के इस अभियान की सराहना करते हुए इस सिंडीकेट के खिलाफ मोर्चा खोला दिया है। अब गेंद औषधि निरीक्षक के पाले में है अब देखना यह होगा की औषधि निरीक्षक फर्जी मैडिकल स्टोर के खिलाफ कब और क्या कार्यवाही करते है जिसका आमजन को बेसब्री से इंतजार है।

केवल स्वास्थ विभाग के भरोसे न रहे आमजनता भी समझे अपनी जिम्मेदारी - 

एक्सपर्ट की राय है की इस सिंडीकेट से बचने के लिए आमजनता दवाई खरीदते समय या अस्पताल में इलाज कराते समय बिल जरूर मांगे यदि दवाई सही है मैडिकल स्टोर सही है अस्पताल एकदम सही है तो संचालक बिना किसी झिझक के आपको बिल देगा यदि कोई बिल देने में आनाकानी करता है तो आप समझ सकते है की यह फर्जी है दवाई भी नकली हो सकती है जिससे आपकी जान माल दोनों का नुकसान हो सकता है। साथ ही सम्बंधित विभाग को मेडिकल स्टोर की क्रय और विक्रय का हर माह सत्यापन करना चाहिए, जिससे नकली व नशीली दवाओ की बिक्री करने वाले ड्रग्स माफियाओं पर लगाम लगेगी, और अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में लोगो की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे इस सिंडीकेट की कमर टूटेगी।

अब देखना यह होगा की औषधि निरीक्षक इस रिपोर्ट के आधार पर क्या रणनीति तैयार करते हैं और नशीली व नकली दवाओं का व्यापार करने वाले इस सिंडिकेट को तोड़ने के लिए क्या कार्यवाही करते हैं।

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