...जब रामभक्तों पर मुलायम सिंह ने चलवा दी थी गोलियां, अयोध्या की सड़कों पर हुआ था हिंदुओं का नरसंहार

आंसू गैस के गोले दागे गए, कारसेवकों पर लाठियां बरसाई गईं, लेकिन दृढ़निश्चयी रामभक्तों ने न तो पलटवार किया और न ही आंदोलन किया और न ही लड़खड़ाए। अचानक सुरक्षाकर्मियों ने फायरिंग कर जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। कई हिंदू भक्तों को निशाना बनाया गया और गोली मार दी गई।

रजत के.मिश्र, Twitter - rajatkmishra1
  • Oct 10 2022 11:55AM
इनपुट- श्वेता सिंह, लखनऊ, twitter-@shwetamedia207
 
समाजवादी पार्टी के संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव का सोमवार को गुरुग्राम में निधन हो गया। 82 वर्षीय मुलायम, लंबे वक्त से अस्पताल में भर्ती थे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद राज्य सरकार ने 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
 
दिवंगत मुलायम सिंह यादव से जुड़ी एक घटना तो सबको याद ही होगी। अयोध्या मामले से ऐसा कौन है जो वाकिफ नहीं होगा। अयोध्या का गोलीकांड वो दिन था 30 अक्टूबर साल 1990 जब अयोध्या में कारसेवकों की भीड़ इकट्ठा हो गयी। कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर सुबह 9 बजे थे जब हिंदू संत और हजारों कारसेवक, जिनमें महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे; ने राम जन्मभूमि स्थल की ओर अपना मार्च फिर से शुरू किया, जहां विवादित ढांचा खड़ा था। सुरक्षा बलों, जिन्हें हिंदुओं को साइट पर पहुंचने से रोकने का निर्देश दिया गया था, रास्ता अवरुद्ध करने के लिए सड़क पर खड़े हो गए।
 
जब सुरक्षाकर्मियों ने हिंदू भक्तों को रोकने की कोशिश की, तो वे वहीं बैठ गए और भगवान राम के नाम का जाप और भजन सुनाने लगे। उन्होंने आगे बढ़ने से रोकने के लिए तैनात सुरक्षाकर्मियों के पैर छुए। हर बार जब वे ऐसा करते तो सुरक्षाकर्मी पीछे हट जाते और कारसेवक आगे बढ़ जाते। निहत्थे होते हुए भी कारसेवक अडिग रहे।
 
सड़कों पर हुआ हिंदुओं का नरसंहार-
 
यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक आईजी ने आदेश पारित नहीं किया और पुलिस कर्मी हरकत में नहीं आए। आंसू गैस के गोले दागे गए, कारसेवकों पर लाठियां बरसाई गईं, लेकिन दृढ़निश्चयी रामभक्तों ने न तो पलटवार किया और न ही आंदोलन किया और न ही लड़खड़ाए। अचानक सुरक्षाकर्मियों ने फायरिंग कर जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। कई हिंदू भक्तों को निशाना बनाया गया और गोली मार दी गई। ऐसा माना जाता है कि सुरक्षाकर्मियों ने राम जन्मभूमि की ओर जाने वाली हर गली में हिंदुओं का शिकार किया और उन्हें निशाना बनाया और कुछ ही समय में सड़कें युद्ध क्षेत्र में बदल गईं। सुरक्षा कर्मियों ने न तो घायलों को मदद की पेशकश की और न ही किसी और को उनकी मदद करने की अनुमति दी।
 
पुलिस के पास फायरिंग का कोई पूर्व लिखित आदेश नहीं था। दरअसल, पुलिस द्वारा फायरिंग किए जाने के बाद जिलाधिकारी ने आदेश पर दस्तखत किए थे. किसी कारसेवक के पैर में गोली नहीं लगी। सभी के सिर और सीने में गोली मारी गई है। जिसका मतलब है कि सुरक्षाकर्मियों ने जान से मारने और घायल करने के इरादे से फायरिंग की थी।
 
तब मुलायम सिंह थे मुख्यमंत्री-
 
जिस समय यह घटना हुई उस समय मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। मुलायम सिंह ने इस घटना के 23 साल बाद खुलासा किया था कि आखिर उन्होंने कार सेवकों पर गोली क्यों चलवाई थी। मुलायम ने बताया था कि उस समय मेरे सामने मंदिर-मस्जिद और देश की एकता का सवाल था। आगे उन्होंने बताया कि बीजेपी वालों ने अयोध्या में 11 लाख कारसेवकों की भीड़ इकठ्ठा कर दी।यह भीड़ लगातार बेकाबू होती जा रही थी जिसे कंट्रोल करना मुश्किल होता जा रहा था ऐसे में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए मुलायम सिंह यादव ने पुलिस को उनपर गोली चलाने का आदेश दे दिया। इस गोलीबारी में 28 लोगों की मौत हो गयी थी। आपको बता दें कि मुलायम सिंह यादव ने इस खुलासे के दौरान कहा था कि उन्होंने देश की एकता के लिए अयोध्या में गोली चलवाई थी। अगर गोली नहीं चलती तो मुसलमानों का देश से विश्वास उठ जाता। उन्होंने कहा था कि गोली चलने का अफसोस उन्हें है मगर देश की एकता के लिए और जानें भी जातीं तो भी वो पीछे नहीं हटते।
 
 
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