भारत ने एक बार फिर अपने शत्रुओं को यह दिखा दिया है कि जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तो कोई भी समझौता नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय रक्षा बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (POK) में आतंकियों के कई गढ़ों को ध्वस्त कर दिया।
यह ऑपरेशन तीनों सेनाओं की तालमेल वाली एक बड़ी रणनीतिक कार्रवाई थी, जिसे बालाकोट हमले के बाद सबसे बड़ा प्रतिघात माना जा रहा है।
आधुनिक हथियारों से लैस कार्रवाई
इस बार भारत ने दुश्मनों के खिलाफ अत्याधुनिक मिसाइल और आत्मघाती ड्रोन का इस्तेमाल कर दुश्मनों को चौंका दिया। इस ऑपरेशन में शामिल थे:
🔺 SCALP क्रूज मिसाइल – फ्रांस-यूके द्वारा विकसित यह मिसाइल दुश्मन के इलाकों में गहराई तक घुसकर हमला करती है। इसकी मारक क्षमता 250 से 560 किमी तक है और यह बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है, जिससे रडार से बच निकलती है।
🔺 हैमर स्मार्ट बम – यह बेहद सटीक निशाना साधने वाला बम है, जिसे राफेल लड़ाकू विमानों से दागा गया। इसका उपयोग आतंकियों के मजबूत बंकरों और छिपे अड्डों को नष्ट करने में किया गया।
🔺 लोइटरिंग म्यूनिशन (आत्मघाती ड्रोन) – टारगेट के ऊपर उड़ते हुए इन ड्रोन को जैसे ही आदेश मिलता है, वे खुद को टारगेट पर गिराकर विस्फोट कर देते हैं। यह हथियार आधुनिक युद्ध की सबसे सटीक और खतरनाक तकनीकों में से एक है।
9 ठिकाने चकनाचूर, पाक की जमीन पर खलबली
भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत कुल 9 आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त किया। इनमें से चार पाकिस्तान की सीमा के भीतर और पांच POK में स्थित थे। विशेष बात यह रही कि इस हमले में पाकिस्तानी सेना के किसी भी अड्डे को टारगेट नहीं किया गया, सिर्फ उन जगहों को निशाना बनाया गया जो वर्षों से आतंकियों के प्रशिक्षण और लॉन्चपैड के रूप में इस्तेमाल हो रहे थे।
कुछ प्रमुख टारगेट स्थान:
मुरीदके (पंजाब, पाक)– लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य ट्रेनिंग हब, भारत से महज 30 किमी दूर।
गुलपुर और कोटली (POK)– LOC से सटे लश्कर और जैश के ठिकाने।
बिलाल कैंप और सरजाल ट्रेनिंग सेंटर– जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी लॉन्चपैड, जिनका प्रयोग घुसपैठ के लिए किया जाता था।
मेहमूना और बरनाला– हिजबुल मुजाहिदीन के शिविर, जहां नई भर्ती आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती थी।
भारत की रणनीति साफ– अब नहीं करेंगे बर्दाश्त
भारत सरकार की तरफ से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि भविष्य में किसी भी आतंकी गतिविधि का जवाब इससे भी ज़्यादा तीव्र और निर्णायक होगा। ऑपरेशन सिंदूर न केवल एक सैन्य कार्रवाई थी, बल्कि यह एक संदेश था – भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक रणनीति अपना रहा है।