हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 7 मई 2025 को है। मोहिनी एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि इसे भगवान विष्णु के मोहिनी रूप के साथ जोड़ा जाता है, जो राक्षसों से देवताओं की रक्षा के लिए प्रकट हुए थे। यह दिन विशेष रूप से उपवास, भक्ति और भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है।
मोहिनी एकादशी का महत्व
मोहिनी एकादशी का व्रत उन सभी के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है जो पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं और धार्मिक उन्नति की कामना रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन उपवास करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को स्वर्ग का सुख मिलता है। इसके साथ ही, इस दिन का व्रत व्यक्ति की मनोकामनाओं की पूर्ति भी करता है और धार्मिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है।
मोहिनी एकादशी का व्रत विशेष रूप से महिलाओं और पुरुषों दोनों द्वारा पुण्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत खास तौर पर उन लोगों के लिए है जो आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ पारिवारिक सुख-शांति चाहते हैं।
मोहिनी एकादशी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठें: मोहिनी एकादशी के दिन सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
भगवान विष्णु का पूजन करें: पूजा स्थान को स्वच्छ करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र का पूजन करें।
व्रत का संकल्प लें: इस दिन उपवास रखने का संकल्प लें और भगवान से पापों के नाश और पुण्य की प्राप्ति की प्रार्थना करें।
नारियल, फल और फूल चढ़ाएं: भगवान विष्णु को नारियल, फल, तुलसी के पत्ते और अन्य धार्मिक सामग्री अर्पित करें।
हमें विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए: मोहिनी एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बेहद लाभकारी माना जाता है।
रात्रि जागरण करें: इस दिन रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन करना विशेष शुभ माना जाता है।
मोहिनी एकादशी के व्रत के लाभ
मोहिनी एकादशी के दिन उपवास और पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही, यह व्रत मन की शांति और धार्मिक उन्नति के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन उपवास करता है, वह अगले जन्म में स्वर्गवास प्राप्त करता है।
मोहिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के विशेष रूप को प्रसन्न करने का एक सर्वोत्तम अवसर होता है, और यह दिन धार्मिक और आत्मिक शांति की प्राप्ति का माध्यम बनता है।