बस्ती में पूर्व भाजपा विधायक संजय प्रताप जायसवाल की मुश्किलें बढ़ीं, MP-MLA कोर्ट ने फैसला बरकरार रखा

बस्ती में MP-MLA कोर्ट ने पूर्व भाजपा विधायक संजय प्रताप जायसवाल सहित छह लोगों को 22 साल पुराने मामले में सुनाई गई तीन साल की सजा को रखा बरकरार

Vedprakash Chaudhary
  • Apr 29 2025 6:30PM
मंगलवार, 29 अप्रैल को, पूर्व विधायक संजय जायसवाल, पूर्व मंत्री और विधायक आदित्य विक्रम सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख महेश सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख त्र्यंबक पाठक, बसपा नेता इरफान और एक अन्य आरोपी को कोर्ट ने जेल भेज दिया। लंबी सुनवाई के बाद, इन सभी आरोपियों को हाल ही में सजा सुनाई गई थी। अपील खारिज होने के बाद, जब ये सभी कोर्ट में पेश हुए, तो जज प्रमोद गिरी ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया।
सरकारी वकील देवानंद सिंह ने बताया कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद, पूरे मामले की सुनवाई हुई, गवाहों के बयान दर्ज किए गए, और तत्कालीन एडीएम श्रीश दुबे और डीएसपी ओमप्रकाश ने कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखा। सभी सबूतों और बयानों के आधार पर आज यह फैसला सुनाया गया।
मामला क्या था?
बस्ती जिले की MP-MLA अदालत ने 2024 में सजा का एलान किया था, और आज सुनवाई के दौरान मौजूद नेता फैसले से सहम गए। यह मामला कोतवाली क्षेत्र के सदर तहसील का है। 3 दिसंबर 2003 को विधान परिषद चुनाव की मतगणना के दौरान एडीएम श्रीश दुबे के साथ मारपीट हुई थी।
पूर्व विधायक संजय जायसवाल, पूर्व विधायक आदित्य विक्रम सिंह और उनकी पत्नी कंचना सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख महेश सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख त्र्यंबक नाथ पाठक, पूर्व विधायक कमाल युसूफ के बेटे इरफान और अशोक सिंह ने मिलकर मारपीट की। आरोप है कि इन नेताओं ने एआरओ श्रीश दुबे से दोबारा मतगणना कराने की मांग की और उनके साथ हाथापाई की। तत्कालीन डीएसपी ओम प्रकाश सिंह भी मारपीट में घायल हो गए। सात आरोपियों को 3 साल की सजा सुनाई गई थी।
एडीएम श्रीश दुबे की तहरीर पर बस्ती कोतवाली में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। मारपीट मामले में कुल 8 नामजद आरोपी बनाए गए थे। सुनवाई के दौरान एक आरोपी, पूर्व ब्लॉक प्रमुख बृजभूषण सिंह, की मृत्यु हो गई। अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अर्पिता यादव ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया। उन्होंने सात आरोपियों को 3 साल की सजा सुनाई और प्रत्येक पर दो-दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। 22 साल बाद आए इस फैसले से आरोपियों में हड़कंप मच गया। सभी आरोपियों ने इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने की बात कही है।
0 Comments

संबंधि‍त ख़बरें

ताजा समाचार