देश भर मे गाजी शब्द और उसकी दरगाह इस समय विवाद का कारण बन चुकी है। यहाँ लगने वाले मेलों का विरोध भी कई हिस्सों मे हो रहा है। भारत के तमाम हिस्सों मे उग आई गाजी की दरगाहें इस समय चर्चा के केंद्र मे हैं। बहराइच से ले कर प्रयागराज तक हंगामा खड़ा हुआ। इसी क्रम मे अब बाराबंकी जिले मे भी एक गाजी की दरगाह पर मेला लगाने की तैयारी की गई थी। वहीं दूसरी तरफ हिन्दू समाज इस मेले का विरोध कर रहा है। आखिरकार प्रशासन ने इस मेले की अनुमति देने से इंकार कर दिया है।
यह मामला बाराबंकी के सतरिख क्षेत्र का है। यहाँ सैयद सालार साहू गाजी की एक दरगाह बनी हुई है। दरगाह को हरे रंग से रंगा गया है। चारों तरफ बाउंड्री खींच दी गई है। सामने उर्दू और हिंदी मे दरगाह का परिचय लिख दिया गया है। लिखावट और इसका पेंट नया लग रहा है। इस दरगाह की बाकायदा एक कमेटी बनाई गई है। पिछले कुछ समय से यहाँ ज्येष्ठ के महीने में हर साल मेला लगता है। इस मेले का आयोजन दरगाह कमेटी करती है।
कुछ सालों की तरफ इस बार भी दरगाह कमेटी के लोग मेले के आयोजन की अनुमति लेने प्रशासनिक अधीकारियों की अनुमति लेने गए थे। उपजिलाधिकारी नवाबगंज को दिए गए आवेदन को थाना प्रभारी सतरिख अमर कुमार चौरसिया के पास आख्या के लिए भेजा गया था। इस आवेदन पर थानेदार ने अपनी आख्या मे लिखा कि वर्तमान हालातों को देखते हुए इस मेले की अनुमति नहीं दी जा सकती है। प्रशासन ने इस आदेश को सभी पक्षों से मानने की भी अपील की है।
मिली जानकारी के मुताबिक लगभग 15 दिनों पहले हिन्दू संगठन से जुड़े कुछ लोगों ने प्रशासन से माँग की थी कि इस मेले को लगने की अनुमति न दी जाए। अपनी माँगों के समर्थन मे संगठन ने धर्मिक भवनाओं को ठेस पहुँचने सहित कई अन्य तर्क दिए थे। फिलहाल मौके पर शांति व्यवस्था कायम है। प्रशासन की हर गतिविधि पर कड़ी नजर है।