भारत से पिटने के बाद अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पाकिस्तान की बेइज्जती हो रही है। सिंधु जल संधि के मुद्दे पर भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान को विश्व बैंक से करारा जवाब मिला है। विश्व बैंक ने शुक्रवार, 9 मई 2025 को दो टूक कह दिया कि वह सिर्फ एक 'मध्यस्थ' है और इस मामले में उसकी कोई दखलअंदाजी नहीं हो सकती।
विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए कहा, “हमारी भूमिका केवल एक मध्यस्थ की है। मीडिया में इस मामले पर जो चर्चाएं चल रही हैं, वे फिजूल की हैं। विश्व बैंक का कोई निर्णयात्मक अधिकार नहीं है।” साफ है कि पाकिस्तान एक बार फिर खुद ही खोदा गड्ढा और खुद ही उसमें गिर गया।
भारत के पानी पर अब भारत का हक- PM मोदी का साफ संदेश
पाकिस्तान बार-बार भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की नाकाम कोशिश करता रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही साफ कर चुके हैं कि "भारत के हिस्से का पानी अब भारत की ज़रूरतों में इस्तेमाल होगा, न कि पाकिस्तान की नापाक जमीन पर।" पाकिस्तान के दिन अब लद चुके हैं।
सिंधु संधि निलंबन से तिलमिलाया पाकिस्तान
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद पाकिस्तान की हालत उस भूखे भेड़िए जैसी हो गई है, जिसे शिकार भी ना मिले और रोने भी ना दिया जाए। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले की ताज़ा तस्वीरों में सलाल डैम के तीन गेट खुले नजर आए, जिससे चेनाब नदी में पानी का बहाव तेज हो गया। भारत अब पाकिस्तान को ये बताने के लिए बाध्य नहीं है कि पानी कब छोड़ेगा और कब रोकेगा। यही है असली आज़ादी की ताकत।
पाकिस्तान की मिन्नतें, विश्व मंच पर शर्मनाक हार
कानून और न्याय राज्य मंत्री अकील मलिक की माने तो पाकिस्तान इस मुद्दे पर तीन अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय विकल्पों पर विचार कर रहा था- जिसमें विश्व बैंक को घसीटना भी शामिल था। लेकिन जैसे ही विश्व बैंक ने पल्ला झाड़ा, पाकिस्तान की आखिरी उम्मीद भी धूल में मिल गई।