जम्मू के कटड़ा से त्रिकुटा पर्वत तक फैली मां वैष्णो देवी यात्रा इन दिनों बेहद सुस्त पड़ी है। जहां पहले मई महीने में रोजाना 30 से 35 हजार श्रद्धालु मां के दरबार में हाजिरी देने पहुंचते थे, वहीं अब यह संख्या घटकर 10 हजार से भी नीचे आ गई है। श्रद्धालुओं की इस कम मौजूदगी से पूरा यात्रा मार्ग वीरान सा हो गया है।
सुरक्षा कारणों से शाम 6 बजे के बाद ताराकोट यात्रा मार्ग को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है। शुक्रवार (9 मई) को भी यही नियम लागू रहा और तीर्थयात्रियों को पारंपरिक मार्ग से भवन की ओर बढ़ना पड़ा। वहीं, कटड़ा स्थित हेलीपैड भी पूरी तरह से बंद रहा, जिससे हेलीकॉप्टर सेवा बाधित रही। भक्तों को घोड़े, पालकी या पैदल यात्रा का सहारा लेना पड़ा।
कटड़ा स्टेशन पर पसरा सन्नाटा
कटड़ा रेलवे स्टेशन, जो कभी यात्रियों की चहल-पहल से गूंजता था, अब लगभग सुनसान पड़ा है। रेलवे सूत्रों के अनुसार अब केवल 15 से 20 फीसदी तीर्थयात्री ही रेल के जरिए कटड़ा आ रहे हैं, जबकि अधिकतर ट्रेनें खाली लौट रही हैं। स्टेशन पर सन्नाटा पसरा है।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा चाक-चौबंद, लेकिन माहौल सूना
हालांकि, यात्रा मार्ग पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। जगह-जगह सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। गुरुवार को केवल 10,256 श्रद्धालुओं ने मां वैष्णो देवी के चरणों में हाजिरी लगाई, और शुक्रवार की शाम तक सिर्फ 4,400 श्रद्धालु भवन की ओर रवाना हुए। प्रशासन की ओर से बैटरी कार और रोपवे जैसी सुविधाएं पहले की तरह उपलब्ध हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या घटने से इनका उपयोग भी सीमित रह गया है।